चंद लाईने
हर कदम पर् सहमी सहमी जिंदगी बनी रही
हर कदम पर् सहमी सहमी जिंदगी बनी रही
चराग जलाए हमने फिर भी तीरगी (अँधेरा) बनी रही
मुल्क के एक गाँव में माह भर अँधेरा था
संसद के गलियारे में रौशनी बनी रही
चरणदीप अजमानी, पिथोरा 9993861181
Ajm.charan@gmail.com
Ajmani61181.blogspot.com
चरणदीप अजमानी, पिथोरा 9993861181
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तीखा व्यंग्य है. बधाई .
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