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Saturday, February 19, 2011


           









        


           ( वतन बचाने आ जाओ )

खवाब जो देखे थे पहले उसे सजाने आ जाओ 
भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ

राम नाम के भेष  में अब तो रावण छिप कर बैठा है 
बन गयी लंका अब फिर से उसे जलाने आ जाओ
भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ 

शहीदों की शहादत को यह देश भूल कर बैठा है 
रहबर रहजन बन बैठे राह दिखाने आ जाओ
भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ 

आज़ादी का जो सपना तुमने बचपन में देखा था
एसेम्बली में जो तुमने बहरो के लिए बम फेंका था 
इन्कलाब का नारा फिर से याद दिलाने आ जाओ 
भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ 
  

चरणदीप  अजमानी पिथोरा 9993861181
Ajm.charan@gmail.com
Ajmani61181.blogspot.com
 


4 comments:

  1. प्रिय बंधुवर चरणदीप अजमानी पिथोरा जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    देशभक्ति की भावनाओं से ओत-प्रोत अच्छी रचना के लिए धन्यवाद !
    भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ
    भाई, ये रणबांकुरे अपना दायित्व निभा गए , हमें रास्ता दिखा गए … … …
    अब हमें भी कुछ करके दिखाना है …
    लेकिन ऐसी रचनाओं की आवश्यकता से भी इंकार नहीं … साधुवाद !

    बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. चरण दीप जी आपकी इस बेजोड़ रचना के लिए मेरी बधाई....आपकी लेखनी में बहुत दम है...अच्छा लगा आज आपको पढ़ कर...

    नीरज

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  3. sundar koshish hai. soch vyapak hai. samayik hai. aisee rachanao ki zaroorat hai. shilp ko aur nikharane ki disha men bhi kaam karana hoga. shubhkamnaye...

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  4. भाई चरणदीप,
    इस सामयिक रचना के लिए साधुवाद...
    भगत गुरु सुखदेव और अनगिनत क्रांतिकारी शहीदों के ओजस्वी कर्म कुतुबनुमा की तरह मौजूद हैं... राहनुमाई कर रहे हैं... हमें ही संकल्प लेना होगा उनके संकल्पों को पूरा करने का...
    आपके ब्लॉग में आकर अच्छा लगा... बसंती छटा के साथ बासंती पोस्ट...वाह ...
    आदरणीय बड़े भाईयों (गिरीश पंकज और राजेन्द्र स्वर्णकार) की टिप्पणियाँ बेशकीमती और महत्वपूर्ण हैं...
    मेरे ब्लॉग में आकर हौसला आफजाई की हमराह बने... अच्छा लगा... शुक्रिया...
    शुभकामनाएं....

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