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Sunday, March 13, 2011























( पेड से  पत्ता टूटा )

पल भर मे वो ऐसा रुठा 
पेड से जैसे पत्ता टूटा


तेरे जाने के बाद से
हम पर दुख का पर्वत टुटा


सच का ये अंजाम पुराना
ज़ीता फिर मुकदमा झुठा


देश मेरा सोने कि चिडिया
ज़िसने चाहा जी भर लुटा


ग़ुलशन का क्या हाल बताये
ज़ाने पत्ता पत्ता बुटा




चरणदीप अजमानी, पिथोरा 9993861181
Ajm.charan@gmail.com
Ajmani61181.blogspot.com


 

1 comment:

  1. सच का ये अंजाम पुराना
    ज़ीता फिर मुकदमा झुठा
    चरण दीप अजमानी जी अभिनन्दन है आप का हिंदी जगत के बढ़ावा देने में तत्पर आप का रुझान देख -हर्ष हुआ - आप की अमन के लिए लिखी पंक्तियाँ - इंसानियत को परिलक्षित करती रचनाएँ बहुत भायीं- सच का ये अंजाम पुराना
    ज़ीता फिर मुकदमा झुठा सच और कटु सत्य भी भरा है -बधाई हो
    आइये अपना सुझाव व् समर्थन हमें भी दें हमारे सभी ब्लॉग पर
    शुक्ल्भ्रमर 5

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