( पेड से पत्ता टूटा )
पल भर मे वो ऐसा रुठा
पेड से जैसे पत्ता टूटा तेरे जाने के बाद से
हम पर दुख का पर्वत टुटा
सच का ये अंजाम पुराना
ज़ीता फिर मुकदमा झुठा
देश मेरा सोने कि चिडिया
ज़िसने चाहा जी भर लुटा
ग़ुलशन का क्या हाल बताये
ज़ाने पत्ता पत्ता बुटा
चरणदीप अजमानी, पिथोरा 9993861181
Ajm.charan@gmail.com
Ajmani61181.blogspot.com
सच का ये अंजाम पुराना
ReplyDeleteज़ीता फिर मुकदमा झुठा
चरण दीप अजमानी जी अभिनन्दन है आप का हिंदी जगत के बढ़ावा देने में तत्पर आप का रुझान देख -हर्ष हुआ - आप की अमन के लिए लिखी पंक्तियाँ - इंसानियत को परिलक्षित करती रचनाएँ बहुत भायीं- सच का ये अंजाम पुराना
ज़ीता फिर मुकदमा झुठा सच और कटु सत्य भी भरा है -बधाई हो
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शुक्ल्भ्रमर 5