( संसद हमला: शहीदों की शहादत के साथ मजाक )
13 दिसम्बर २०११ को संसद पर हमले के दस साल पूरे हो रहे हैं। भारतीय लोकतंत्र की आन-बान-शान संसद भवन की आतंकी हमले से रक्षा में 9 लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी पर किसी भी सांसद पर आंच नहीं आने दी पर लगता है संसद पर हुए हमले के दौरान शहीद हुए सैनिक भुला दिये गये है हमले के बाद अफजल गुरु को इस मामले में दोषी पाया गया और उसे फांसी की सजा सुनाई गई है। लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका है ,क्योंकि अफजल गुरू की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है| उसे फांसी दिलवाने की खातिर शहीदों के घर वालों ने बहादुरी के तमगे भी लौटा दिए है | फिर भी इंसाफ पाने का उनका इंतजार अब तक खत्म नहीं हुआ है |सुप्रीम कोर्ट से सजा की पुष्टि के बावजूद अफजल को फांसी क्यों नहीं दी जा रही है इस हमले पर अगर देश के सांसदो की जान चली गयी होती तो शायद ज्यादा अच्छा होता। दस साल बीत जाने के बाद गुनहगारों को सजा दिए बिना हमले के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि महज खानापुर्ति लगती है। इस मामले पर केन्द्र सरकार राजनिति कर रही है ।
13 दिसंबर २०११ को संसद हमले की बरसी पर पूरा भारत उन शहीदों को नमन कर रहा है, जिन्होंने अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी।
चरनदीप अजमानी, पिथौरा 9993861181
Ajmani61181.blogspot.com
शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि . इस ह्रदय विदारक घटना पर आपकी टिप्पणी निश्चित रूप से विचारणीय है. प्रत्येक सच्चे भारतीय को इस पर विचार करना चाहिए .
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