सर्वप्रथम मेजर ध्यानचंद को मिले भारत रत्न ।
देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न 1954 में शुरू किया गया था । तब से अब तक 41 लोगों को इससे नवाजा जा चुका है । आमतौर पर भारत-रत्न उन लोगों को मिलता है, जिनका भारत के लिए अतुलनीय और निरपेक्ष योगदान रहा है। भारत रत्न सम्मान देने के नियमो में ऐसा उल्लेख नहीं था की यह सम्मान किसी खिलाड़ी को भी दिया जा सकता है,किन्तु अब सरकार द्वारा नियमो में संशोधन के बाद यह मांग उठने लगी है की यह सम्मान क्रिकेट के भगवान् सचिन रमेश तेंदुलकर को दिया जाना चाहिए। परन्तु मै मीडिया द्वारा प्रचारित इस भावनाओं से सहमत नहीं हूँ। अगर खेल से ही किसी खिलाड़ी को भारत रत्न दिया जाना है, तो सर्वप्रथम मेजर ध्यानचंद को यह सम्मान दिया जाना चाहिए।
तीन ओलंपिक 1928, 1932 और 1936 में स्वर्ण पदक जीतने वाले करिश्माई सेंटर फारवर्ड ध्यानचंद को यह पुरूस्कार हमारे राष्ट्रीय खेल और मेजर ध्यानचंद के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी । उनके जन्मदिन को भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है। इसी दिन खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। भारतीय ओलम्पिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया था। उनकी कलाकारी से मोहित होकर ही जर्मनी के रुडोल्फ हिटलर ने उन्हें जर्मनी के लिए खेलने की पेशकश कर दी थी। लेकिन ध्यानचंद ने हमेशा भारत के लिए खेलना ही सबसे बड़ा गौरव समझा।
सचिन से पूर्व और भी ऐसे खिलाड़ी है जो अपने खेल प्रदर्शन के दृष्टिकोण से इस सम्मान के दावेदार है । के. डी. जाधव ,लिएन्डर पेस, कर्णम मल्लेश्वरी, राज्यवर्धन सिंग राठोर, अभिनव बिन्द्रा, सुशिल कुमार. विजेन्दर सिंग को भला हम कैसे भूल सकते है जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीतकर भारत का नाम पुरे विश्व में फैलाया । सचिन अभी देश के लिए खेल रहे है और उनके रिटायर होने के पूर्व यह सम्मान उन्हें दिया जाना दुसरे खिलाडियो के मन में नकारात्मक सन्देश का प्रचार करेगा, जिन्होंने अपने अपने खेल के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया है।
चरनदीप अजमानी, पिथौरा
http://ajmani61181.blogspot.com
No comments:
Post a Comment