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Sunday, December 25, 2011

(नये साल कि ख्वाहिशें )


जिंदगी के हम पे यारो, कुछ तो कम एहसान हुए,
अपनों के हाथो अपनों की महफ़िल में नीलाम हुए  

पंडित ने क्यों आँखे मुंदी ,क्यों मुल्ला नहीं चिल्लाया,
मजहब के नाम पे यारो ,जब भी कत्लेआम हुए   

मेरे नाम पे धोखा क्यों, मेरी मौत को नहीं हुआ,
वैसे तो  मेरी बस्ती में, मेरे भी हमनाम हुए 
 


उन बच्चों से जाकर पुछो, नये साल कि  ख्वाहिशें ,
भुख मिटाने मे गुम, जिनके दिन रात तमाम हुए


चरनदीप अजमानी, पिथौरा, 9993861181
http://ajmani61181.blogspot.कॉम
http://ajmani61181-capturedphoto.blogspot.com

5 comments:

  1. @पंडित ने क्यों आँखे मुंदी,क्यों मुल्ला नहीं चिल्लाया,
    मजहब के नाम पे यारो ,जब भी कत्लेआम हुए |

    बड़ा सवाल, जिसका कोई जवाब नहीं।

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  2. achhi gajal hai....

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  3. This comment has been removed by the author.

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