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Tuesday, December 06, 2011

काले धन व भष्ट्राचार पर रोक लगाने के लिये चाबुक क्यो नहीं चलाती सरकार | 


सरकार की फ़ेसबुक व सोशल नेट्वर्किंग साइट टिवटर पर प्रतिबंध लगाने की मन्शा उसकी आपातकाल के दौरान लायी गयी सेन्सरशिप की मानसिक्ता को उजागर करती है | मै सरकार के नज़रिये से बिलकुल भी सहमत नहीं हूँ | सरकार इस फ़ैसले के जरिये अभिव्यक्ति की आजादी का हनन करना चाहती है, ये कोई राज तंत्र नही है की, सरकार के खिलाफ बोलना जुर्म हो | अगर नेता जनता के अनुकूल काम नहीं करे तो उनका विरोध तो होगा ही, वरना राजा कलमाड़ी जैसे लोग जनता के धन को लुट कर दुसरे देशो में जमा कर आयेंगे| यदि किसी राजनेता के बारे में कोई सत्य विधयमान है तो वह सामने आना ही चाहिए पर राजनेता ऐसा नहीं चाहते | 
सरकार के पास इन साइटो पर आपत्तिजनक कटेंट आने पर रोकने के लिये पहले से ही सुचना प्रौद्योगिकी के तहत कानुन मौजुद है| सरकार इन सब पर सेन्सर लगाने के बजाय काले धन व भष्ट्राचार पर रोक लगाने के लिये चाबुक क्यो नहीं चलाती ? लोकपाल जैसे मुद्दो पर मौन व्रत क्यों रखती है ? अगर भारत सरकार ऐसा करती है तो भारत ओर पाकिस्तान मे कोई अंतर नही रह जाएगा |





चरनदीप अजमानी , पिथोरा 
http://Ajmani61181.blogspot.com


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